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Loknagar KI 31 Kahaniya
Pritpal Kaur
(Autor)
·
Jvp Publication Pvt. Ltd.
· Tapa Dura
Loknagar KI 31 Kahaniya - Kaur, Pritpal
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Reseña del libro "Loknagar KI 31 Kahaniya"
इस संग्रह में जो कहानियां हैं वे आम जीवन की विसंगतियों को दर्शाती हैं. आधुनिक युग में हर व्यक्ति अपने जीवन की उधेड़बुन में ही इतना व्यस्त रहता है कि अपने आसपास देखने की फुरसत उसे नहीं मिलती. यहां तक कि खुद अपने ही जीवन को वह सही ढंग से समझ नहीं पाता. बस एक यांत्रिक जीवन को रोज़मर्रा की छोटी बड़ी चुनौतियों से जूझता हुआ जी कर अपनी उम्र तमाम कर लेता है. लेखक समाजसुधारक तो नहीं होता मगर अपने सामाजिक सरोकार से वह मुंह नहीं मोड़ सकता. चुनांचे अपने सामाजिक और लेखकीय दायित्वों की पूर्ति वह इन्हीं मुद्दों, घटनाओं और व्यवहारों को अपने लेखन के जरिए उजागर करने का प्रयास करता है. इन कहानियों में भी यही प्रयत्न किया गया है. नगरीय जीवन आधुनिक युग में कितनी ही चुनौतियों का सामना हर रोज करता है. कहानियों के पात्र जाने अंजाने में समस्याओं को खोल कर सामने रखते हैं और अपने कार्य कलाप से उन समस्याओं के संभावित हल की झलक भी दिखला जाते हैं. हर कहानी अपने आप में एक जीवंत यात्रा है जो चलते चलते एक जीवन दर्शन अथवा कोई गूढ मंत्र अपने साथ लेकर चलती है. और इसे कहते हुए पाठक के मन में सोचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सवाल छोड़ जाती है.
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Dura.
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