Reseña del libro "Indonesia Mein Hindu Punarutthan (en Hindi)"
भारत में बहुत से लोगों को हमारे पूर्वजों द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम आदि में पहली शताब्दी ईसापूर्व से 17वीं शताब्दी तक स्थापित हिंदू साम्राज्यों के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। उनकी राजनीतिक विजय उनके अधीनस्थ क्षेत्रों की सीमाओं तक अवश्य उल्लेखनीय थी, लेकिन उससे भी बड़ी जीत भारतीय विचारों का प्रचार-प्रसार था। दक्षिण-पूर्व एशिया में मुख्य भूमि और द्वीप समूह, दोनों की सभ्यता पूरी तरह भारत से प्रेरित थी। श्रीलंका, बर्मा, स्याम, कंबोडिया, चंपा और जावा में धर्म, कला, वर्णमाला, साहित्य आदि के साथ-साथ जो विज्ञान और राजनीतिक संगठन अस्तित्व में थे, वे सब हिंदू धर्म की ही देन थे। विश्व में एकमात्र हिंदू ही है, जिसने दासता, आर्थिक प्रतिबंधों, बलात्कार, लूट, आगजनी, सांस्कृतिक धरोहरों के विनाश, धार्मिक स्थलों की अपवित्रता और पवित्र प्रतीकों को नष्ट किए बिना इन सब देशों पर शासन किया; साथ ही उनकी संस्कृति और सभ्यता को भी बढ़ावा दिया। इंडोनेशिया में हिंदू-संस्कृति के पुनरुत्थान का दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय एवं महत्त्वपूर्ण पुस्तक।