Compartir
Aatank Ki Dahashat
Dhar Tej N
(Autor)
·
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
· Tapa Dura
Aatank Ki Dahashat - N, Dhar Tej
Sin Stock
Te enviaremos un correo cuando el libro vuelva a estar disponible
Reseña del libro "Aatank Ki Dahashat"
वर्ष 1990 के शुरू का कश्मीर, जब घाटी में आतंकी हिंसा चरम सीमा पर थी। हत्याएँ, आगजनी और आतंकियों का प्रकोप काले धुएँ की तरफ फैल गया था। इसलामिक और आजादी के नारे चारों ओर गूँज रहे थे। पंडितों को कश्मीर से जाने की चेतावनी दी जा रही थी और उन्हें मजबूर करने के लिए रोज एक या कई पंडितों को क्रूरता-बर्बरतापूर्वक मारा जाता था। यही सब इस डायरी रूपी उपन्यास में पूरी तरह से दरशाया गया है और आतंकियों तथा खुदगर्ज राजनीति नेताओं के फैलाए हुए झूठ कि पंडितों को जगमोहन ने निकाल दिया, को नंगा कर दिया है। बहुत ही सटीक और मार्मिक घटनाओं में पंडितों की बेबसी और मजबूरी को उजागर किया है। डायरी का नायक अकेला है और मानसिक तनाव से ग्रस्त भी। खौफ के माहौल में अपनी पुरानी यादें भी जीता है, जिससे उसका आज और भी भयानक तरीके से उभर आता है। अंत तक इसी द्वंद्व में रहता है कि घाटी में रहना चाहिए या जाना चाहिए। इसी उधेड़बुन में उसका अंत भी होता है, पर यह सवाल भी उठता है कि या उसे कश्मीरियों की तरह अपने घर में रहने का हक है या नहीं। यह मार्मिक कथा भारत के इतिहास में एक काले धबे से कम नहीं है।
- 0% (0)
- 0% (0)
- 0% (0)
- 0% (0)
- 0% (0)
Todos los libros de nuestro catálogo son Originales.
El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Dura.
✓ Producto agregado correctamente al carro, Ir a Pagar.